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Shayari In Hindi | हिन्दी शायरी |
1. *सिख नहीं पा रहा हु*
*मीठे झूठ बोलने का हुनर*
*कड़वे सच ने हमसे न जाने*
*कितने लोग छीन लिए!*
2. तुम तो छोड़ गए हो जिंदा यूँही
मगर ये रातें मेरी जान लेके मानेंगी!!
3. में ये कहना चाहता हूं कि जो लड़के
कान में बाली और बालों में चोटी बांधते है
😎😁😁😎
क्या उन्हें भाभी बुला सकते है?
😂😂😂😜😜😁
4. प्रेम की अवधारणा मात्र किताबों मे मिलती है.….
ज़िंदगी प्रेम का अर्थ नही जानती...!!
5. तुम्हारी......बेरुखी और चिड़चिड़ाहट बताती है
तुम्हारे शहर में हम जैसा कोई और भी रहता है!!
6. नज़र तलाशती रहती है सुबह शाम तुम्हें
तुम्हारा... शहर बहुत दूर है तो क्या हुआ!!
7. तुम एक दिन जान जाओगे,
कि नहीं लड़ना ही सबसे बड़ी लड़ाई है..!!
8. मैंने कहा था उससे तुम मेरा आख़री भरोसा हो
अब मैं अपने साए को भी शक की नज़र से देखूंग!!
9. उम्मीद वो आख़िरी चीज़ है ...
जो इंसान हारने से पहले करता है...!!
10. उम्र होती है पुरानी हर दिन...
हादसे रोज़ नए होते हैं..
11. ज़िंदगी भर ज़ुल्फ़ों की छांव में रहने का वादा करने वाले … 🙂🙂
शादी के बाद खाने में एक बाल भी बर्दाश्त नही कर पाते … 🤭🤭
12. पूछना ये था कि … 🤨🤨
अगर बीवी कहीं फिसल कर गिर जाए … 🥴
तो उसको उठाने समय अपनी हंसी कैसे रोंके … 🤨🤔🥺
13. एक निग्रो अपने बच्चे के साथ बस से कहीं जा रहा था
कंडक्टर ने उसका बच्चा देखकर कहा, इतना काला बच्चा मैंने आज तक नहीं देखा
निग्रो को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन वो कुछ नहीं बोला और सीट पर बैठा रहा
संता ने उससे पूछा - क्या हुआ भाई साहब
निग्रो - कुछ नहीं हुआ भाई कंडक्टर ने बेइज्जती कर दी🥹
संता - अरे मार साले को जाके ,ये चिम्पांजी का बच्चा मुझे पकड़ा दे साला कटेगा तो नहीं 🙄🫣
😝😝🤣🤣🤣🤣🤣🤣😂😂😂😂
14. #पत्नी : - तुम्हें ज़रा भी तमीज़ नहीं है मैं घंटों से बोले जा रही हूं और तुम बैठ कर उबासी ले रहे हो … 🤨😬
=
#पति : - अरे भाग्यवान मैं उबासी नहीं ले रहा बोलने की कोशिश कर रहा हूं … 😲😰
15. लोगो ने समझाया वक्त बदलता है
वक्त ने समझाया लोग बदलते हैं!!
16. चार लोग क्या कहेंगें..?
.
.
.
अरे चार लोग यही कहेंगे कि ..
तुम बेवकूफ थे जो पूरी ज़िन्दगी हमारे बारे में सोच-सोचकर गुजार दी..!!
17. दुनिया देखते देखते
कितनी बेगैरत हो गयी
हम जरा सा क्या बदले
सबको_हैरत हो गयी!!
18. मोहब्बत के जख्मों पर शायरी का मरहम तो लगा लिया है
पर जैसे ही घाव भरते है वो चेहरा फिर मुस्कुरा देता है.....!!
19. तनहाइयों का एक अलग ही मज़ा है
इसमें डर नहीं होता किसी के छोड़ जाने का!!
20. दोस्ती किससे कब हो जाये अंदाज़ा नहीं होता,
ये वो घर है जिसका कोई दरवाज़ा नहीं होता...!!
21. मिलावट है तुम्हारे इश्क़ में एक शराब जैसी
इसलिए तो कभी महक जाते है तो कभी बहक जाते है...!!
22. यू ही ख्वाबो में चले आया करो
ना पकडे जाने का डर और ना ही
जाने की जल्दी...!!
23. कैद खाने है बिन सलाखों के… .
कुछ यूं चर्चे है तुम्हारी आंखों के… .
24. बात उससे नही करनी...
मगर बात उसी से करनी है....!!
25. *अस्पताल में डॉक्टर अनुभवी हो या न हो, नर्स अनुभवी होनी चाहिए* 🤣🤣🤣
26. काश तुम
मिले ही न होते
या फिर मेरे होते!!
27. मैं ख़ुद से दूर और… .
तू मुझ में मौजूद हैं… .!!
28. अपने जीवन को खुल कर जिओ व्यक्तिगत और व्यावसायिक तौर पर,
क्योंकि किसी को भी पता नहीं होता है कि वह इस धरती पर कब तक हैं... !!
29. उलझनों का बोझ… .
दिल से उतार दो… .
बहुत छोटी है जिन्दगी… .
हँस के गुजार दो… .!!
30. #विवाहित_पुरुष_अवश्य_पढ़ें।
कुछ दिन पहले मेरे पास एक फ्रेंड रिक्वेस्ट आई ।
यह किसी "अल्का वर्मा" के नाम से थी ।
एक्सैप्ट करने से पहले मैने आदतन उसकी प्रोफाइल को चैक किया...
तो पता चला अभी तक उसकी मित्रता सूची में कोई भी नहीं है ।
शक हुआ कि कहीं कोई "फेक" तो नहीं है
फिर सोचा नहीं...., फेक नहीं हो सकती.....
हो सकता है फेसबुक ने इस यूजर को नया मानते हुए इसे मेरे साथ मित्रता करने के लिए सज्जेस्ट किया हो...
प्रोफाइल फोटो नदारद देखकर मैनें अंदाजा लगाया..
शायद नई हो.......?
और उसे फोटो अपलोड करनी नहीं आती या फिर वो संकोची भी हो सकती है......
खैर, मैनें रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली..
सबसे पहले उसकी ओर से धन्यवाद आया..
फिर मेरे हर स्टेटस को "लाईक और कमेंटस"मिलने शुरू हो गए.......
मैं अपने इस नए कद्रदान को पाकर बेहद खुश हुआ..
सिलसिला आगे बढ़ा......... और
अब मेरी निजी जिंदगी से संबधित कमेंटस आने लगे....
मेरी पसंद नापसंद को पूछा जाने लगा......
अब वो कुछ "रोमांटिक सी शायरी" भी पोस्ट करने लगी थी......
एक दिन मोहतरमा ने पूछा :- क्या आप अपनी "बीवी से प्यार" करते हैं ?
मैनें झट से कह दिया :-हां.... .
वो चुप हो गई
अगले दिन उसने पूछा :- क्या आपकी मैडम "सुंदर" है ?
इस बार भी मैने वही जवाब दिया :-हां, बहुत सुंदर है.....
अगले दिन वो बोली :-क्या आपकी बीवी खाना अच्छा बनाती है........?
"बहुत ही स्वादिष्ट" मैनें जवाब दिया
फिर कुछ दिन तक वो नजर नहीं आई.........
अचानक कल सुबह उसने मैसेज बाक्स में लिखा "मैं आपके शहर में आई हूँ.......
क्या आप मुझसे."मिलना"चाहेंगे..?
मैनें कहा :- जरूर...
"तो ठीक है आ जाइये "सिने गार्डन"में मिल भी लेंगे और "मूवी" भी देख लेंगे.......
मैनें कहा :- नहीं, "मैडम आप आ जाइये मेरे."घर" पर.........
मेरे "बीवी-बच्चे"आपसे मिलकर खुश होंगे.......
मेरी बीवी के हाथ का खाना भी खाकर देखियेगा.........
बोली :- नहीं, मैं आपकी मैडम के सामने नहीं आऊंगी...... आपने आना है ,तो आ जाओ....
मैंने उसे अपने यहाँ बुलाने की काफी कोशिश की मगर वो नहीं मानी.......
वो बार बार अपनी पसंद की जगह पर बुलाने की जिद पर अड़ी थी.........
और मैं उसे अपने यहां.......
आखिरकार वो झुंझला उठी और बोली :-ठीक है, मैं वापिस जा रही हूँ....... तुम डरपोक अपने घर पर ही बैठो.......?
मैनें फिर उसे "समझाने" का प्रयास किया और सार्वजनिक स्थल पर मिलने के खतरे गिनायें पर वो नहीं मानी..........
हार कर मैंने कह दिया :-मुझसे मिलना है तो मेरे परिवार वालों के सामने मिलो, नहीं तो अपने घर जाओ.....
वो "ऑफलाइन" हो गई......
शाम को घर पहुँचा,तो डायनिंग टेबल पर."लज़ीज खाना" सजा हुआ था........
मैनें पत्नी से पूछा:- कोई आ रहा है क्या खाने पर ?
वो बोली...
हां, "अल्का वर्मा" आ रही है......
मैंने कहा...
क्या............?
वो तुम्हें कहां मिली, तुम उसे कैसे जानती हो...?
"तसल्ली रखिये साहब,
वो..."मैं"....ही थी.....
आप मेरे जासूसी मिशन के दौरान परीक्षा में "पास" हुए...
आओ, मेरे सच्चे हमसफर, खाना खायें, ठंडा हो रहा है...!
अच्छा हुआ मैंने बीबी का फ़ोन समय रहते चेक कर लिया,वरना खाना अकेले को बनाना होता😀😀😀😀
आपको भी ऐसे नए नाम से कोई मैसेज कर रहा है तो सावधान हो जाये😀😀
31. एक लड़के ने फेसबुक में स्टेट्स डाला .....
शुक्र करो मेरी कोई मुमताज नहीं है वरना हर गली में ताजमहल होता
लड़के की पड़ोसन ने रिप्लाई किया ....
पहले घर में लैट्रीन तो बनवा ले , पूरा घर सुबह - सुबह लोटा लेके खेत जाता है
ताजमहल बनाएगा भिखारी 🤨🤣🤣🤣🤣🤣🙄🙄😂😂😂😛😛🤪🤪😝😝🤪
32. पूछना ये था कि … 🤨🤨
ये जो एक तरफ़ा मोहब्बत होती है … 🙂🙂
उसका मुँह किस तरफ़ होता है कोई बता सकता है क्या … 🤨🤔
33. सिर्फ दो बातों से मतलब बदल जाता है जैसे कि...
लड़का खाते पीते घर का है शादी तय !!
लड़का पीता,खाता है शादी कैंसिल ! 🥸
😀🤭
34. एक बच्चा अपनी मां से - मम्मी मुझे कहानी सुनाओ न
मम्मी - बेटा मुझे तो कोई कहानी याद नहीं, अभी तुम्हारे पापा घर आयेंगे तब मैं पूछूंगी इतना लेट कैसे हुए, तब देखना वो कितनी कहानियां सुनाते हैं😛🤪🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣
35. पहला दोस्त – यार बता I Am Going To Toilet का मतलब क्या होता है?
🤔
🤔
🤔
दूसरा दोस्त- मै शौचालय जाता हूं।
😟
पहला दोस्त-ऐसे कैसे जाएगा।
😂
🤩
पहले इसका मतलब बता कर जा।।
😆
😆
😃😃😃😃😂
जिसको भी पूछता हूं सबको शौचालय लग जाती है।
😂😂😂😂😂
36. एक पहलवान ने होटल में अपना कोट टांगा, और उस पर एक पर्ची भी लगा दी
कि कृपया कोट न चुराएं!
मुक्केबाजी में विश्व-चैंपियन ।
😟😟😟😟
जब खाना खाने के बाद लौटे तो देखा
कोट गायब था
😱
और दूसरी पर्ची वहां रखी थी:
कृपया पीछा न करें!
दौड़ में विश्व-चैंपियन ।
😀😀😀😀😀😀😀😀
37. वो अब भी ख्वाबों में आती है, बड़ी खामोशी से,
जैसे कुछ कहा भी हो… और कुछ छुपा भी लिया हो।
मैं आज भी उसी मोड़ पे रुका हूँ वक़्त की तरह,
जहाँ उसने मुझे छोड़ा था, मगर दिल कभी नहीं छोड़ा।
ना कोई शिकवा है, ना कोई शिकायत बची,
बस उसकी यादें हैं, जो हर रात साथ सोती हैं।
मिलता हूँ अब भी उससे, मगर एक दायरे में रहकर,
बात करता हूँ, पर नज़रे चुराकर… टूटे दिल को सहकर।
कभी-कभी लगता है, वो भी देखती है मुझे चुपके से,
शायद उसे भी मेरी याद आती हो, उसी तड़प के साथ।
मैं बस दुआ करता हूँ… वो कभी मुझसे नफरत ना करे,
क्योंकि मोहब्बत हार सकती है, पर बदनाम नहीं हो सकती।
38. माना कि फासले बहुत हैं तुमसे..
पर इतने भी नहीं हैं....!!
कि हम ख्वाबों में बुलाएँ
और तुम आ ना सको....!!
39. नसीब से मिलते हैं, दिल के रिश्ते निभाने वाले,
वरना हमसफर पा कर,
भी जाने कितने लोग उदास हैं..!!
40. टूट जायेगी तुम्हारी ज़िद की आदत उस दिन,
जब पता चलेगा की याद करने वाला अब याद बन गया।
41. मैं फिर उसी मोड़ पर हूँ, जहाँ तुझे छोड़ आया था,
वही साया, वही मौसम, जिसे तू कभी पाया था।
तेरे बिना भी वक़्त चलता है — ये सब झूठ है,
मैं हर लम्हा उसी घड़ी में साँस ले आया था।
कई चेहरों से पूछा तेरा हाल उस शाम में,
हर चेहरा बस तेरा नाम लिए मुस्काया था।
तू खामोश थी, मैं बेज़ुबान... फिर भी,
तेरे जाने के बाद ही मेरा नाम सुनाई दिया था।
अब हर मोड़ पे इक "क्यों?" सा बैठा रहता है,
और हर जवाब में तेरा ही ज़िक्र आया था।
42. आधी रात को उसके घर तक जाता हूँ,
चुपचाप उसकी दीवारों से नज़रें चुराता हूँ।
ना आवाज़, ना आहट, बस ख़ुद को घसीटता हूँ,
और हर बार दरवाज़े तक आकर ख़ुद को मिटा आता हूँ।
मुझसे रात को दूरियाँ बना के रखा करो,
रात को मैं अपने साए से भी डरता हूँ।
सांसें जैसे उधार की लगती हैं,
और धड़कनें किसी पराए जिस्म की लगती हैं।
मैं उसके बंद कमरे की ख़ामोशी में दफन हो आता हूँ,
दीवारों की दरारों में अपना नाम लिख आता हूँ।
ना दस्तक, ना इल्तिज़ा, बस चुपचाप गुनगुनाता हूँ,
"माफ़ कर देना मुझे... मैं फिर आ गया था..."
हर रात एक उम्मीद को दरवाज़े पे छोड़ आता हूँ,
और हर सुबह उसे वहीं मरा हुआ पाता हूँ।
मुझसे रात को दूरियाँ बना के रखा करो,
रात को मैं ख़ुद भी ख़ुद का नहीं रहता...!!
43. कितना बदनसीब हु
तुझे किसी के सामने अपना नहीं कह पाता!!
44. जो जमा कर रखी है तेरी यादें
उसका क्या करूं
दफनाया नहीं जाता , जलाया नहीं जाता
यार तू महबूब तो है मेरा
पर कभी हक जताया नहीं जाता
45. चल मान लेता हु ,मैं ही बदनसीब हु
पर
शर्त लगाता हु मेरा जैसा चाहने वाला नहीं होगा!!
46. ओर तुझे परवाह किसी ओर की होने लगी है
मालूम है मुझे
मेरा सोच
बिछड़ के क्या हाल हुआ होगा!!
47. मैं रोज रोज के इंतेज़ार से थक गया हु अब
रोज रोज रोना मेरे बस में नहीं है अब!!
48. क्यू सो रहे हो सारे
कोई मर गया है क्या
मैं , वो, हम
करते थे सुबह-शाम
बिछड़ गए हो क्या ?
49. उसे चाहना अच्छा लगता है
मसला है
ये भी छुपाना पड़ता है!!
50. खुशियों में शामिल होने आया था
उसकी याद उदासी ले आयी!!
51. मुझे ही छोड़ के मेरे ही महबूब का हाल पूछता है वो !
हमने खुद्दारी में दोबारा इश्क नहीं किया!!
52. मोहब्बत मिली, पर सहारा नहीं,
खुशबू रही, पर वो गुल हमारा नहीं।
जिसे मांगते रहे हर प्रार्थना में हम,
भगवान ने लिखा, पर वो हमारा नहीं।
लबों पे था नाम, मगर आवाज़ नहीं,
आँखों में थे ख़्वाब, पर रौशनी नहीं।
इश्क़ की राहों में अकेले ही रहे,
मोहब्बत तो मिली, पर वो पास नहीं!!
53. ठंडी सर्दियों की सुबह थी। धुंध से पूरा गांव ढका हुआ था। लोग अलाव जलाकर खुद को गर्म करने की कोशिश कर रहे थे। गांव के एक छोटे से मकान के आंगन में एक बूढ़ी औरत बैठी थी, जिसका नाम था *शारदा*। उसके हाथ कांपते थे, लेकिन फिर भी वो रोटियां सेंक रही थी — दो रोटियां, थोड़ी सी दाल, और एक छोटी सी कटोरी में गुड़।
हर दिन की तरह वो वही थाली लेकर गांव की पगडंडी पर चल पड़ती थी। हर किसी को लगता था कि शायद वो किसी को खाना देने जा रही है, पर *जिसे वो खाना देती थी, वो तो सालों से दूर शहर में रहता था — उसका बेटा, विशाल।*
विशाल बचपन से ही तेज था, पढ़ाई में होशियार। मां ने पेट काट-काटकर पढ़ाया, खेत गिरवी रख दिए, शादी के गहने तक बेच दिए, लेकिन एक बार भी शिकायत नहीं की। विशाल पढ़-लिखकर शहर गया, और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
पहले-पहले फोन आता था — "मां, बहुत काम है, बाद में बात करूंगा।"
फिर धीरे-धीरे वो फोन भी बंद हो गए।
शारदा हर दिन अपने बेटे के नाम की दो रोटियां बनाती, एक पेड़ के नीचे रख देती — और कहती, *"कभी तो आएगा मेरा बेटा... कभी तो भूख लगेगी उसे मां की रोटी की।"*
गांव वाले मजाक उड़ाते — "तुम्हारा बेटा तो बड़ा अफसर बन गया है, अब उसे गांव की गंध कहां पसंद आएगी?"
पर शारदा मुस्कराकर कहती, *"जिसने मेरी कोख से जन्म लिया है, वो मेरी रोटी की खुशबू को कभी नहीं भूल सकता है।"*
एक दिन, गांव में एक बड़ी गाड़ी आकर रुकी। सूट-बूट में एक आदमी उतरा, आंखों पर काले चश्मे। किसी ने पहचाना नहीं — लेकिन शारदा के दिल ने पहचान लिया।
वो दौड़कर आई, पर रुक गई।
*उसने देखा — वही चेहरा, पर आंखें झुकी हुईं थीं।*
विशाल ने धीरे से कहा, *"मां, मुझे माफ कर दो... मैंने बहुत कुछ पाया, पर आपको खो दिया।"*
शारदा कुछ नहीं बोली। बस अंदर गई, वही रोटियों की थाली लाई, और कहा —
*"खा ले बेटा, आज ही नहीं... ये रोटियां तो बरसों से तेरा इंतजार कर रही हैं।"*
विशाल फूट-फूटकर रो पड़ा।
उस दिन उसने जाना —
*"बड़ी से बड़ी थाली में परोसा खाना भी उस रोटी की बराबरी नहीं कर सकता, जिसमें मां की उंगलियों का स्पर्श और उसके प्यार की गर्माहट हो।"*
अगर ये कहानी पसंद आई हो, तो दिल से दुआ दीजिए उन सब माओं को — *जो बस अपने बच्चों के लौट आने का इंतजार कर रही हैं। और हो सके तो 1 ♥️ लाइक हमारी पर भी कर दो।*
54. रोना धोना तो आज कल आशिक लोग करते है
हम तो ठहरे आजाद परिंदे न किसी के आने की खुशी न किसी के जाने का ग़म
जब तक जिंदगी है खुश रहेंगे हम 😂
55. अपने प्रेम को चलो इस बार अमर करने चलते हैं..
तुम ग़र हाथ थामो मेरा तो मथुरा, काशी चलते हैं.. !!
56. *बेटी ....*
*Life तक ....*
*बेटा ...*
*wife तक ....*
*GooD..NooN*
57. *🌺 आज का सुविचार 🌺*
अगर आपके घर मे
बेवजह महाभारत है तो
महाभारत का हिस्सा न
बने बल्कि घर मे छुपे
सकुनि को पहचाने!!
58. इश्क़ समझदार लोगो के बस की बात नहीं है यारों
यहां कुछ रास्तों पर पागल भी होना पड़ता है..
59. जाते वक़्त मैंने कहा याद आओगे
उसने कहा *“रो लिया करना"!!*
60. सारा नशा उतर गया
इश्क का गालिब!
जब महक चाय से,
माँ के प्यार की आई !!
61. सुनो
मोहब्बत नहीं मेहनत करो
धोखा नहीं कामयाबी मिलेगी...!!
62.तुममे!!
पता नहीं
ऐसा क्या है…
तुम्हें !!
कभी देखा ही नहीं
उस तरह,
जैसे...
कोई तस्वीर
देखी जाती है,
पर फिर भी
दिल ठहर गया…
जैसे...
अपना अक्स
देख लिया हो किसी में
तुमसे !!
अनंत प्रेम
कोई इवेंट नहीं था…
ना ही
पहली मुलाक़ात में
कुछ खास हुआ,
ना ही कोई
शायरी वाला सीन —
बस...
धीरे-धीरे
तुम !!
मेरी______
सोच में शामिल होती गई …
और अब
पूरी ज़िंदगी में हो
कभी लगता है,
तुम्हारे !!
बिना भी जी सकता था …
पर फिर...
खुद से ही
सवाल करता हूं —
क्या उसे जीना कहते हैं,
जिसमें...
तुम!! न हो
अब कोई ख्वाब
बड़ा नहीं लगता,
बस...
एक छोटी-सी
ज़िंदगी चाहिए…
जिसमें...सुबह
तुम्हारी !!
आवाज़ से हो,
और रात
तुम्हारी
बाहों की पनाह में
सुकून पा ले .....!!
63. मुश्किल नहीं है कुछ दुनिया में,
आप जरा हिम्मत तो करिए।
ख्वाब बदलेंगे हकीकत में,
आप जरा कोशिश तो करिए।।
आंधियां सदा चलती नहीं,
मुश्किलें सदा रहती नहीं।
मिलेगी आपको मंजिल आपकी,
बस आप जरा कोशिश तो करिए।।
64. कुछ पल
कुछ पल मैं,
वक्त से चुराती गई,
अपने बटुए में ,
सबसे छिपाती गई,
खुश थी कि कुछ,
पूँजी जमा हो गई,
मेरे ख्वाहिशों की,
कीमत अदा हो गई,
कभी फुर्सत से,
जोङूँगी अपना हिसाब,
फिर खरँचूगी ,
वो पल मैं,
कभी बेहिसाब,
उन पलों को
खर्चने के लिऐ,
जब मैं चली,
तब तक मेरी ,
उम्र भी थी ढली,
अब बटुए में ढेर,
पल ही पल थे भरे,
पर मर चुके थे वो शौक,
जिनके लिए कभी,
वो पल थे धरे ।
65. फ़ेसबुक पर सुन्दरियों से
दिल न लगाना,
लाठी टेक कर चलने वाली
अपनी जवानी का फोटो लगाये बैठी मिलेंगी.
🤳😂
66. *कदर नहीं करोगे तो ऊपर वाला छीन लेगा*
*वक्त भी और शख़्स भी* !
67. बेबसी उस शक्श की देखिए कभी,
जो दिन में न जाने कितनी बार चाय पीता था !
पत्नी के गुजर जाने के बाद अब बस शाम के चार बजने की राह देखता है।
शाम को चार बजे की चाय के साथ तुम्हारे प्यार संग ...
लजीज व्यंजन!
अब चाय भी रखी जाती है जैसे ,
किसी भिखारी को भोजन।
फिर भी तुम्हारी याद को ताजा करने के लिए ,
शाम को चार बजने का इंतजार करता हूं,
क्योंकि यही वो वक्त था ,
जब तुम इत्मीनान से बैठ कर ,
मेरे साथ चाय की चुस्कियां लिया करती थी,
आज तुम नहीं हो.....
आज तुम नहीं प्रिय ,
पर शुक्र है दीवार पर लगी घड़ी वही है,
चाय का स्वाद भले ही चला गया,
मगर चार बजे का वक्त वही है!
✍️कंचन राठौड़ "कुंदन"
68. बारिश कुछ यूँ गिरी
सवाल सारे बह गये
काश कुछ बुंदे दिल पर गिरती
मलाल बाकी रह गये...!!
69. नशीली हैं वो किसी महंगी शराब सी,
एक झलक देखूं उसे तो लड़खड़ाने लगता हूं.!!
70. *फर्क है मिलने मे*
*और*
*मिल जाने मे*
71. स्त्री की नाज़ुक सी कहानी
"वो मुस्कराई थी उस दिन भी,
जब अंदर से पूरी तरह टूट चुकी थी।
हर दर्द को आँचल में छुपा लिया,
बस दूसरों की खुशी के लिए जी लिया।
ना किसी ने पूछा, ना किसी ने समझा,
बस कहते रहे – ‘तू तो बहुत मज़बूत है।’
कौन बताए उन्हें…
मजबूत दिखने वाली स्त्रियाँ भी रोती हैं, बस चुपचाप!!
72. तोड़कर बेड़िया गुलामी की, तू भर ले आजादी की उड़ान,
उठ जाग ऐ नारी,अब अपने अस्तित्व को पहचान!!
गार्गी,अनुसूईया,मैत्रेयी, अरुन्धती,सावित्री बन जा,
कल्पना,अहिल्या,झलकारी, पद्मा,लक्ष्मी सा शौर्य दिखा!!
अबला का अस्तित्व मिटा,
तुम शक्ति का पर्याय बनो!!
गर्व करें तुम पर ये धरा,
तुम वह स्वर्णिम अध्याय बनो!!
बनो सशक्त तुम पूर्ण स्वयं में,
रहो नहीं अब और निर्भर!!
स्वाधीनता की नींव रखो तुम,
प्रगति के रखकर पत्थर!!
सृजनाकार स्वयं हो तुम,
खुद मौत भी तुमसे हारी है!!
सारे जग का उद्धार किया,
अब स्वयं तुम्हारी बारी है!!
मंजिल के पथ, के काँटों को तुम,पग से आज कुचल डालो,
भरो उड़ान आसमानो की तुम अब इतिहास बदल डालो!!
त्याग,समर्पण,प्रेम और ममता,रूप का ना प्रतिकार करो ,
घात यदि हो किन्तु मान पर,काली बन संहार करो!!
परंपरा की सीमित,कुंठित परिधि का विस्तार करो,
तुम मे शक्ति,ना स्वयं शक्ति तुम बात ये अब स्वीकार करो!!
पर्वत से मैदान तक अपनी जीत का परचम लहराओ,
कोमल हो,कमजोर नहीं, अब दुनिया को ये दिखलाओ!!
73. हर आरंभ का अंत सुनिश्चित, हर अंत नई शुरुआत है,
रात ढले तो आए सवेरा, साँझ ढले तो रात है।
ईश्वर ने जो चक्र बनाया, मानव उसको समझ न पाया,
क्यों पतझड़ के बाद बसंत, क्यों जेठ गए बरसात है?
सुख सहर्ष अपनाते हैं जब, क्यों देख दुख घबराते हैं तब?
सिक्के के दो पहलू अलग हो सकें, नामुमकिन ये बात है।
ठहर सका क्या कभी ये जीवन, पल पल हो रहा परिवर्तन,
कल जिस गली से उठी थी अर्थी, उसी से गुजरी आज बारात है!!
74. वक़्त ऐसा चल रहा है
जहां तमाम अच्छी बातें,
हमदर्दियां, सच्ची मुहब्बतें और
इंसानियत सोशल मीडिया पर
मौजूद हैं लेकिन इंसान के
किरदार में नहीं!!
75. एक लड़के ने फेसबुक में स्टेट्स डाला .....
शुक्र करो मेरी कोई मुमताज नहीं है वरना हर गली में ताजमहल होता
लड़के की पड़ोसन ने रिप्लाई किया ....
पहले घर में लैट्रीन तो बनवा ले , पूरा घर सुबह - सुबह लोटा लेके खेत जाता है
ताजमहल बनाएगा भिखारी 🤨🤣🤣🤣🤣🤣🙄🙄😂😂😂😛😛🤪🤪😝😝🤪
76. पूछना ये था कि … 🤨🤨
ये जो एक तरफ़ा मोहब्बत होती है … 🙂🙂
उसका मुँह किस तरफ़ होता है कोई बता सकता है क्या … 🤨🤔
77. सिर्फ दो बातों से मतलब बदल जाता है जैसे कि...
लड़का खाते पीते घर का है शादी तय !!
लड़का पीता,खाता है शादी कैंसिल ! 🥸
😀🤭
78. एक बच्चा अपनी मां से - मम्मी मुझे कहानी सुनाओ न
मम्मी - बेटा मुझे तो कोई कहानी याद नहीं, अभी तुम्हारे पापा घर आयेंगे तब मैं पूछूंगी इतना लेट कैसे हुए, तब देखना वो कितनी कहानियां सुनाते हैं😛🤪🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣
79. पहला दोस्त – यार बता I Am Going To Toilet का मतलब क्या होता है?
🤔
🤔
🤔
दूसरा दोस्त- मै शौचालय जाता हूं।
😟
पहला दोस्त-ऐसे कैसे जाएगा।
😂
🤩
पहले इसका मतलब बता कर जा।।
😆
😆
😃😃😃😃😂
जिसको भी पूछता हूं सबको शौचालय लग जाती है।
😂😂😂😂😂
80. एक पहलवान ने होटल में अपना कोट टांगा, और उस पर एक पर्ची भी लगा दी
कि कृपया कोट न चुराएं!
मुक्केबाजी में विश्व-चैंपियन ।
😟😟😟😟
जब खाना खाने के बाद लौटे तो देखा
कोट गायब था
😱
और दूसरी पर्ची वहां रखी थी:
कृपया पीछा न करें!
दौड़ में विश्व-चैंपियन ।
😀😀😀😀😀😀😀😀
81. वो अब भी ख्वाबों में आती है, बड़ी खामोशी से,
जैसे कुछ कहा भी हो… और कुछ छुपा भी लिया हो।
मैं आज भी उसी मोड़ पे रुका हूँ वक़्त की तरह,
जहाँ उसने मुझे छोड़ा था, मगर दिल कभी नहीं छोड़ा।
ना कोई शिकवा है, ना कोई शिकायत बची,
बस उसकी यादें हैं, जो हर रात साथ सोती हैं।
मिलता हूँ अब भी उससे, मगर एक दायरे में रहकर,
बात करता हूँ, पर नज़रे चुराकर… टूटे दिल को सहकर।
कभी-कभी लगता है, वो भी देखती है मुझे चुपके से,
शायद उसे भी मेरी याद आती हो, उसी तड़प के साथ।
मैं बस दुआ करता हूँ… वो कभी मुझसे नफरत ना करे,
क्योंकि मोहब्बत हार सकती है, पर बदनाम नहीं हो सकती।
82. माना कि फासले बहुत हैं तुमसे..
पर इतने भी नहीं हैं....!!
कि हम ख्वाबों में बुलाएँ
और तुम आ ना सको....!!
83. नसीब से मिलते हैं, दिल के रिश्ते निभाने वाले,
वरना हमसफर पा कर,
भी जाने कितने लोग उदास हैं..!!
84. टूट जायेगी तुम्हारी ज़िद की आदत उस दिन,
जब पता चलेगा की याद करने वाला अब याद बन गया।
85. मैं फिर उसी मोड़ पर हूँ, जहाँ तुझे छोड़ आया था,
वही साया, वही मौसम, जिसे तू कभी पाया था।
तेरे बिना भी वक़्त चलता है — ये सब झूठ है,
मैं हर लम्हा उसी घड़ी में साँस ले आया था।
कई चेहरों से पूछा तेरा हाल उस शाम में,
हर चेहरा बस तेरा नाम लिए मुस्काया था।
तू खामोश थी, मैं बेज़ुबान... फिर भी,
तेरे जाने के बाद ही मेरा नाम सुनाई दिया था।
अब हर मोड़ पे इक "क्यों?" सा बैठा रहता है,
और हर जवाब में तेरा ही ज़िक्र आया था।
86. आधी रात को उसके घर तक जाता हूँ,
चुपचाप उसकी दीवारों से नज़रें चुराता हूँ।
ना आवाज़, ना आहट, बस ख़ुद को घसीटता हूँ,
और हर बार दरवाज़े तक आकर ख़ुद को मिटा आता हूँ।
मुझसे रात को दूरियाँ बना के रखा करो,
रात को मैं अपने साए से भी डरता हूँ।
सांसें जैसे उधार की लगती हैं,
और धड़कनें किसी पराए जिस्म की लगती हैं।
मैं उसके बंद कमरे की ख़ामोशी में दफन हो आता हूँ,
दीवारों की दरारों में अपना नाम लिख आता हूँ।
ना दस्तक, ना इल्तिज़ा, बस चुपचाप गुनगुनाता हूँ,
"माफ़ कर देना मुझे... मैं फिर आ गया था..."
हर रात एक उम्मीद को दरवाज़े पे छोड़ आता हूँ,
और हर सुबह उसे वहीं मरा हुआ पाता हूँ।
मुझसे रात को दूरियाँ बना के रखा करो,
रात को मैं ख़ुद भी ख़ुद का नहीं रहता...!!
87. कितना बदनसीब हु
तुझे किसी के सामने अपना नहीं कह पाता!!
88. जो जमा कर रखी है तेरी यादें
उसका क्या करूं
दफनाया नहीं जाता , जलाया नहीं जाता
यार तू महबूब तो है मेरा
पर कभी हक जताया नहीं जाता
89. चल मान लेता हु ,मैं ही बदनसीब हु
पर
शर्त लगाता हु मेरा जैसा चाहने वाला नहीं होगा!!
90. ओर तुझे परवाह किसी ओर की होने लगी है
मालूम है मुझे
मेरा सोच
बिछड़ के क्या हाल हुआ होगा!!
91. मैं रोज रोज के इंतेज़ार से थक गया हु अब
रोज रोज रोना मेरे बस में नहीं है अब!!
92. क्यू सो रहे हो सारे
कोई मर गया है क्या
मैं , वो, हम
करते थे सुबह-शाम
बिछड़ गए हो क्या ?
93. उसे चाहना अच्छा लगता है
मसला है
ये भी छुपाना पड़ता है!!
94. खुशियों में शामिल होने आया था
उसकी याद उदासी ले आयी!!
95. मुझे ही छोड़ के मेरे ही महबूब का हाल पूछता है वो !
हमने खुद्दारी में दोबारा इश्क नहीं किया!!
96. मोहब्बत मिली, पर सहारा नहीं,
खुशबू रही, पर वो गुल हमारा नहीं।
जिसे मांगते रहे हर प्रार्थना में हम,
भगवान ने लिखा, पर वो हमारा नहीं।
लबों पे था नाम, मगर आवाज़ नहीं,
आँखों में थे ख़्वाब, पर रौशनी नहीं।
इश्क़ की राहों में अकेले ही रहे,
मोहब्बत तो मिली, पर वो पास नहीं!!
97. मैं अगर कहीं चली भी जाऊँ तो मेरा झूठा ही सही वो प्रेम सहेज लेना तुम..
जैसे मोर के चले जाने के बाद भी उसका पंख सहेजा जाता है!!
98. बचपन में मां के साथ....
शादी के बाद ससुराल में....
बच्चे पैदा हो ने बड़े होने तक....
नन्हे सपनों से बुढ़ापे के आसमान तक....
एक महिला रसोई और आंगन के बीच फसी रह जाती है....
वो भी जन्म लेकर आई है...
ना की जिंदगी भर परिवार की जिम्मेदारी का बोझ ढोने.....!!
99. इश्क में शामिल कर मुझे तुम इतना क्यों इतराती हो....
प्यार भी करती हो और बताने में भी घबराती हो.....
दूर रहूं तो जिक्र मेरा ,, अपनी सहेलियों से बतलाती हो....
पास आऊं तो आंखे नीचे कर ,, अरे
इतना भी क्यों शर्माती हो.....!
100. छोटी छोटी बात पर समझाएगा वो इंसान तुम्हें,
जिसे वास्तव में तुम्हारे साथ रहना होगा..!!